रायपुर नगर निगम के मयारू : ठाकुर प्‍यारे लाल

अगस्त सन् 1937 म जब ठाकुर प्‍यारे लाल साहब रायपुर मुनिसपल कमेटी के अध्यक्ष चुने गीन तब मुनिसिपल कमेटी म डेढ़ लाख रूपिया के करजा रहिस। मुनिसिपल कमेटी के कर्मचारी मन के तरक्की छै-सात बछर ले रूके परे रहिस। इही हालत स्कूल के गुरूजी मन के घलोक रहिस। शहर के सड़क उखर गए रहिस, स्कूल के छत अतका टपकत रहिस के पढ़इया लइका मन ल स्कूल म बइठके पढना मुश्किल हो गए रहिस। ठाकुर साहब के दू साल के प्रेसीडेंटी म सब करजा अदा होगे, सड़क मन के हालत सुधार गए, अऊ स्कूल के इमारत मन के मरम्मत घलोक हो गए। रायपुर मुनिसपल कमेटी म करजा के अतका भारी बोझ काबर रहिस, ओखर व्यवस्था अतका खराब काबर रहिस? एखर कारन उपर प्रकाश डालत ठाकुर साहब ह खुदे लिखे हें ‘सरलग कई बछर तक कमेटी म प्रेसीडेंट हमेसा वकालत पेशा के मनखे मन चुने जात रहिन। ओ मन ल न तो अपन व्यवसाय ले फुरसत मिलत रहिस अऊ न ही अपन धनी मुवक्किल मन ल नाराज करे के उमन म साहस रहिस।“



शहर म पानी के समुचित व्यवस्था नइ रहिस, सड़क मन अऊ इमारत मन बर घलोक कमेटी तीर पइसा नइ रहिस। ठाकुर साहब ह कमेटी के अध्यक्ष बनतेच ए सब्बो काम ल कर डरिन अऊ कमेटी के आमदनी बाढ गए। नगर के विकास होइस अउ नगरपालिका के कर्मचारी मन अऊ शिक्षक मन के तरक्की होइस। ठाकुर साहब नगर म पीये के पानी के उचित व्यवस्था करिन। मुनिसपल अध्यक्ष रहत उमन अपन मातहत कर्मचारी मन ल वोतकेच मंहगाई भत्ता दीन जतका कि प्रान्तीय शासन देत रहिस। प्रदेश म ओ समय कोनो म्युनिसपल कमेटी ओतका महंगाई भत्ता अपन कर्मचारी मन ल नइ देत रहिस। जतका के ओ मन अपन कर्मचारी मनं ल देवत रहिन। अतका होए बाद घलोक उमन जनता उपर टैक्स नइ बढाइन। ये काम ऊंखर निष्ठावान अउ कुशल प्रशासक होए के स्पष्ट प्रमाण हे।

नगर के विकास ल देखत जनता के मांग के आधार म उमन नयापारा अऊ जुन्ना बस्ती म लड़की मन बर दू स्कूल खोलिन। गंजपारा जिहां गरीब मजदूर मन के बस्ती रहिस, उहां मुनिसपल के तरफ ले अस्‍पताल खोलवाए गीस। प्रौढ शिक्षा बर शहर के बहुत अकन जघा म केन्द्र खोलवाये गीस। जुन्ना पुलिस लाइन ल व्यवस्थित रूप ले बसाए बर उमन शासन ल जरूरी प्रस्ताव भेजिन। उमन नगर म खेलकूद के सुविधा बर स्थानीय कोआपरेटिव्ह बैंक तीर खेले बर मैदान बनाए के प्रस्ताव शासन ल भेजिन जऊन ल स्वीकृति प्रदान करे गीस।



गुढ़ियारी ल रायपुर मुनिसपल कमेटी के अंदर लेहे के मांग 1906 ले चले आत रहिस। गुढ़ियारी ल रायपुर मुनिसपल कमेटी म लेहे ले कमेटी के आर्थिक स्थिति मजबूत हो जातिस। एखर से कमेटी ल 30-40 हजार रूपिया के सालाना लाभ होतिस। फेर गुढियारी ल कमेटी म लेहे के मांग जइसे के तइसे परे रहिस अउ कमेटी ल हजारों रूपिया के नुकसान उठाए ल परत रहिस। उमन गुढि़यारी ल मुनिसपल म सामिल कर दीन येकर से राजस्‍व आए बाढ् गए।

सन् 1938 म ठाकुर साहब ह एक बड़का काम करिन। जेमा हिन्दू मुस्लिम एकता बर अऊ सद्भावना ल बनाए रखे बर उमन कमेटी के तरफ ले हिन्दू मुस्लिम दंगा मन के मुकदमा मन ल मुनिसपल कोति ले न्यायालय ले वापस ले लीन। एखर से मुकदमे बाजी म मुनिस्पल के होवत हजारो रूपिया के खरचा बांचिस। ए प्रकार ऊंखर उदीम ले नगर म सुख शांति स्थापित होइस, अऊ हिन्दू – मुसलमान म सद्भावना बाढ़िस। ठाकुर साहब के हिन्दु अऊ मुसलमान मन म एकता के भावना अउ सौहाद्रपूर्ण वातावरण के निर्माण करे के स्पष्ट उदाहरण हमला म्युनिसपल लारी हाई स्कूल के एक ठन घटना ले मिलथेा उहां मुसलमान अउ हिन्दू लड़का लड़की मन एक राष्ट्रीय झंडा के तरी वंदना नइ करना चाहत रहिन। ठाकुर साहब ल जब ये पता चलिस त उमन उंखर हृदय म बदलाव लाइन अउ ओ मन एके झंडा के तरी सकला के भारत माता के वंदना म सामिल होए लगिन। उमन जनता ल राष्‍ट्रीय चरित्र के अइसन शिक्षा दीन जऊन संभवतः कोनो मुनिसपल कमेटी के अध्यक्ष कोति ले आज तक नइ दे गए होही।



ओ मन एक अच्छा शिक्षा शास्त्री घलोक रहिन। छड़ी हाथ म लेके टहलत रहंय त अचानक कोनो स्कूल म अऊ कोनो क्लास म चल देत रहिन अऊ जऊन विसय के पीरियड होतिस, पढ़ाए लगत रहिन। हिन्दी, अंगरेजी, संस्कृत अउ इतिहास के विद्वान त उमन रहिन, कठिन ले कठिन गणित के सवाल के हल ओ मन कुछ समय म ही कर देवत रहिन। पढ़ाए के शैली घलोक उंखर आकर्सक रहिस। कोनो स्कूल म अचानक पहुंच जाय ले शिक्षक मन म बड़ प्रभाव परय। ओ मन हमेसा सजग रहंय कि ठाकुर साहब कब उंखर शाला म आ जहीं। इही बात आन विभाग मन के कर्मचारी मन बर घलोक लागू होत रहिस। मुनिसपल कमेटी के कर्मचारी मन म जऊन अनुशासन अऊ कर्त्तव्यनिष्ठा ओ समय रहिस, ओखर प्रमुख कारन ठाकुर साहब के औचक जांच ह रहिस। शहर म ओ मन अक्सर पैदल घूमत रहिन। रात के बारा एक बजे घलोक 4 मील दूरिहा नल घर के निरीक्षण करे बर पैदल ही रेंग देत रहिन। माननीय महंत श्री लक्ष्मनारायण दास जी ह ठाकुर साहब के विसय म लिखे रहिन ’सन् 1933 ले मैं ह ये बराबर अनुभव करे हंव कि रायपुर ल उपर उठइया अऊ आगू बढइया कोनो हे त सिरिफ ठाकुर प्यारेलाल सिंह ही हे। ऊंखर सिवाय अतका त्याग करइया कोनो नइ रहिन।’

य े सब करे के बाद घलव ठाकुर प्‍यारे लाल के शासन संग मतभेद रहिस। ये मतभेद के पीछू शासन के कारिंदा मन के चाल रहिस। सरकार के कारिंदा मन चाहत रहिन कि मुनिसपल कमेटी अपन बिजली व्यवस्था बेच दय। फेर ठाकुर साहब एखर विरोधी रहिन। ओ मन प्रजातंत्र अऊ सत्ता के विकेन्द्रीकरण म विश्वास करत रहिन। बिजली व्यवस्था मुनिसपल कमेटी के हाथ ले निकाल के शासन ल सौंप देहे के मतलब रहिस, प्रकाश व्यवस्था बर नगर ल दूसर के मुंह ताके ल परय, अऊ शासन कोति ले जउन टेक्स बढ़ाए जाये ओला चुपचाप जनता सहत रहय। दुसर बात मुनिसपल कमेटी के हाथ म बिजली व्यवस्था होए ले मुनिसपल ल हर साल 25,000 रूपिया के आमदनी तको होत रहिस। ए आमदनी ल अऊ बढाए जा सकत रहिस। ओ समय बिजली व्यवस्था जनता के प्रतिनिधि मन कोति ले संचालित होत रहिस। बिजली बेचे के मतलब रहिस प्रजातंत्र के सिद्धांत ले विलग होना। ये खातिर उमन बिजली व्यवस्था शासन ल सौंपे ले इंकार कर दीन। एखर से शासन ठाकुर साहब ले नाराज हो गीस।



शासन के आरोप येहू रहिस कि मुनिसपल कमेटी के आर्थिक व्यवस्था ठीक नइ हे। ठाकुर साहब ह एकर घलोक समाधान कारक उत्तर दीन। उमन लिखिन कि ऊंखर रहत कम समय म ही रायपुर मुनिसपल कमेटी के डेढ लाख के जुन्ना करजा अदा करे गए हे। गुढियारी ल कमेटी म लेके 50 हजार सालाना आमदनी बढाए गए हे, जम्मो जुन्ना दबे टैक्स के रकम वसूल हो गए हे, अइसे म ये आरोप लगाना अन्यायपूर्ण हे।

असल बात तो ये रहिस कि ठाकुर साहब ह गंज व्यापारी मन ल नाराज कर दे रहिन। उंखर नाराजगी के कारन ये रहिस कि आक्ट्राय नियम के अनुसार अनाज के टैक्स नाका म ही पटाए जाना चाही। फेर व्यापारी मन नाकेदार संग मिल के बिना नाका महसूल पटाए गंज म गाड़ीं ले आत रहिन। गंज म मनगरजी महसूल देवत रहिन नइ तो नइ देवत घलव रहिन। ए प्रकार के भ्रष्टाचार के जानकारी जब ठाकुर साहब ल मालूम चलिस त उमन नाकेच म महसूल वसूले के हुक्म दीन, अऊ ये नियम बना दीन कि जऊन व्यापारी महसूल पटाही उही ह सामान गंज ले जा पाही। ए निर्णय के विरोध म व्यापारी मन ह हड़ताल घलोक करिन, फेर नियम हटाए नइ गीस। एखर से मुनिसपल कमेटी के राजस्व आय करीबन दू लाख्र रूपिया बाढ़ गीस। व्यापारी मन शासन से शिकायत करिन त शासन ह मुनिसपल कमेटी ल भंग कर दीस।

ठाकुर साहब के मुनिसपल कमेटी ल भंग करे के एक अऊ कारन रहिस वो ये कि रायपुर म्युनिसिफल कमेटी के अंतर्गत जऊन तीर तार के गांव जइसे टिकरापारा, कुशालपुर, डंगनिया, चिरहुलडीह, फाफाडीह, राजा तालाब आदि सामिल करे गए रहिस, ऊंखर किसान अऊ बसुंदरा मनखे मन के बस्ती के जमीन म वो मनखे मन के कोनो अधिकार नइ रहिस। ठाकुर साहब ओ जमीन म उंखर अधिकार देहे के बात करंय। ठाकुर साहब के ए बात ले ओ गांव के मालगुजार मन उंखर ले नाराज हो गए रहिन। ए मालगुजार मन म ले कुछ मुनिसपल के सदस्य घलोक रहिन। उमन घलोक कमेटी ल भंग करे म ठाकुर साहब के बिरोध म शासन ल सहयोग करिन। ए प्रकार कमेटी भंग हो गीस, फेर ठाकुर साहब के ओखर से कुछ नइ बिगड़िस। एखर उलटा जनता के हृदय म ठाकुर साहब बर सम्मान अउ बाढ़ गीस।

संजीव तिवारी
संदर्भ : त्‍यागमूर्ति ठा.प्‍यारेलाल – हरि ठाकुर
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